Wednesday 31 August 2011

" कहानी आंख की "

Note-"its not my own"..its only for enjoyment..

वैसे  तो मै बहुत ही शरीफ इन्सान हूँ .पर करूँ क्या अपनी बायीं आंख से बहुत परेशान हूँ . जहाँ भी जाता हूँ वहीँ चल जाती है ,लोग कहते हैं की जान बुझकर चलाता है .
बात है मेरे बचपन की, शायद सन ५५ की , बैठे थे क्लास में, लड़की थी पास में, नाम था सुलेखा , उसने हमे देखा  की हमारी आंख चल गई. शिकायत लगा दी आफत बुला दी , चपरासी आया, प्रिंसिपल ने बुलाया, पहुंचे वहां तो लम्बा चौड़ा सा भासन सुनाया ,और बोला कैसे चल गई, मैंने कहा भूल में , प्रिंसिपल बोला -हो कैसे गया भूल में. थोड़ी सी हिम्मत जुटी, गर्दन ऊपर उठाई, हम कुछ कहते, उससे पहले हमारी  आंख चल गई, प्रिंसिपल को खल गई , हुआ यह परिणाम , कट गया हमारा नाम , करते क्या ? ढूंढने पहुंचे कोई काम.! 
पहुंचे interview में , खड़े थे queue में , वहां भी एक लड़की कड़ी थी,उसने हमारी और देखा तो हमारी आंख चल गई. उतर ली उसने चप्पल , उड़ा दिया हमारा वक्कल . ठंडा हो गया जोश, हो गए हम बेहोश , पता नहीं जाने कितने पड़े थे , जब आया हमे होश तो नर्स और डॉक्टर हमे घेरे खड़े थे. नर्स बोली- कैसे लग गई चोट, मै कुछ बताऊँ उससे पहले मेरी आंख चल गई, नर्स तो कुछ बोली नहीं पर डॉक्टर को बात खुल गई, डॉक्टर बोला- हरकत करता है इस हाल में, शर्म नहीं आती आंख मारता है अस्पताल में. तुझे कुछ कहना है अपनी सफाई में , जहाँ भी जाता है पिटाई खता है आंख की चलाई में.!
जब हमारे अब्बाजान बहुत हो गए परेशान, बोले - बेटा ! खोते सिक्के हो ,मगर चल जाओगे. ये घर मिल गया तो बदल जाओगे.तुम्हारे लिए एक लड़की देखी है, लड़की अच्छी है, उम्र में कच्ची है, पर बात हमारी पक्की  है , लिया पता , train पकड़ी , पहुँच गए रुढ़की , देखने लड़की. वहां पर सास आकर बैठी हमारे पास , बोली- कोई तकलीफ तो नहीं हुई शफर में, हम थे इसी अवसर में , की कुछ बात शुरू करें सास से,हम कुछ बात शुरू करें, उससे पहले हमारी आंख चल गई. सास बोली- अरे मैं तो लड़की की माँ हूँ, तुम कहो तो लड़की को बुला दूँ, २-४ बातें करा दूँ. मैं कुछ बताऊँ उससे पहले मेरी आंख चल गई , सास जी मचल गई , सीट से उछल गई, सुनाई दो चार कर दिया घर से बाहर. मुह लटकाया सामान उठाया ,पहुंचे स्टेशन , पकड़ी रात की ट्रेन, रेत भरा था सर में , आकर घूष गए घर में.पिताजी ने किया सवाल , बता दिया हमने बीता हुआ हाल, पिताजी बोले- तुझ जैसा नालायक नहीं होगा किसी कहानी में , पिटता है भरी जवानी में , जहाँ भी जाता है, पिटकर ही आता है ,भगवन ही जाने घर तक कैसे पहुँच जाता है.
और क्या क्या गुण सुनाऊं अपनी इस कमबख्त आंख के ,
जुटे पर्ह्वाएगी जिन्दगी में १५-२० लाख के.....

Saturday 6 August 2011

फ्रेंडशिप डे 2011

दोस्त बड़े कमीने होते हैं ...
न जीने देते हैं  न मरने देते हैं...
पर जितना भी वो हमे सता लें .....
कम्बखत हर बार दिल जीत लेते हैं...

हमारे लिए जान भी चली जाये तो गम नहीं...
लेकिन टाइम पर न मिली व्हिस्की  या रम,
तो तुम हमारे नहीं और हम तुम्हारे नहीं...

ऐसे प्यारे और कमीनों को मित्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें...
फ्रेंडशिप डे 

Wednesday 20 July 2011

वक़्त गुजर जायेगा ..


ये  वक़्त  गुजर  जायेगा  एक  दिन ,
तू  देखता  रह  जायेगा ..

आज  खुश  है  तू  अपने  कर्मों  से ,
कल  शायद  इनसे  तू  रो  जायेगा ,
खुद  को  बचाले  बुरे  कर्मों  से ,
वरना  तू  मर  मर  के   जी  पायेगा .

बुलंदियों  पर  है  आज  तू ,
तो  क्या  कल  बुलंद  रह  पायेगा .
खुद  को  ही  आज  समझले  तू ,
वरना  फिर  संभल  न  पायेगा .

जब  गरीबी  तुझे  उदास  करे ,
या  बेशुमार  दौलत  तेरे  हाथ  भरे ,
मत  मुस्कुरा , न  निराश  हो ,
सब  कुछ  वेवफा  हो  जायेगा .

क्या  बनाकर  "ताज ", कारीगर  आज  जिन्दा  हैं ,
या  पिरामिड  की  मिटटी  कोई  अमृत  का  पुलिंदा  है ,
पिरामिड  हो  या  इंसान  हो ,
कोई  न  ठहर  पायेगा .

तेरे  दिल  की  तस्वीर  मुस्कराहट  से  बनेगी ,
तेरी  रात  मुस्कुराते  संगीत  से  सजेगी ,
खुद  को  इतना  व्यस्त  कर  लेना  तू ,
दुखी  होने  के  लिए  समय  खो  जायेगा .

ये  वक़्त  गुजर  जायेगा  एक  दिन ,
तू  देखता  रह  जायेगा ..

Tuesday 19 July 2011

अरमान जिंदगी का ...


बता  ऐ ज़िन्दगी  तेरे  अरमान  क्या  हैं ..?


एक  हसरत  थी  की  मुझे  किसी  का  प्यार  मिले..
मैंने  बहुत  तलाशा  की  कहीं  कोई  बहार  मिले ..
शायद  किसी  ख्वाब  में  ही  कोई  जान  पढ़  जाये..
बता  ऐ  ज़िन्दगी  तेरे  अरमान  क्या  हैं ..?


तकदीर  जो  बनाई  हर  बार  उजड़ गई  है ..
जिंदगी  की  हर  पत्ती  गुलाब  की  तरह  बिखर  गई  है ..
अब  जिंदगी  की  हर  पत्ती  भी  बटोरनी  पड़ेगी  क्या .?
बता  ऐ  ज़िन्दगी  तेरे  अरमान  क्या  हैं ..?


मेरे  जज्बातों  से  दौलत  भी  खेल  चुकी  है ..
ये  दुनिया  मुझे  यूँ  ही  बर्बाद  कर  चुकी  है .
हम  को  बता  दे  जिन्दगी  तेरे  जो  बयां  हैं ..
बता  ऐ  ज़िन्दगी  तेरे  अरमान  क्या  हैं ..?


चाहे  जो  इन्सान  तो  तकदीर  बदल  भी  बदल  देगा ..
सारे  संसार  की  तस्वीर  भी  बदल  देगा ..
इरादों  को  एक  बार  परवान  होने  दें ..
बता  ऐ  ज़िन्दगी  तेरे  अरमान  क्या  हैं ..?


एक  हसरत  थी  की  मुझे  किसी  का  प्यार  मिले..
मैंने  बहुत  तलाशा  की  कहीं  कोई  बहार  मिले ..
शायद  किसी  ख्वाब  में  ही  कोई  जान  बन  जाये..
बता  ऐ  ज़िन्दगी  तेरे  अरमान  क्या  हैं ..? 

Monday 18 July 2011

दुआ दिल की....


आँखों  में  आंसू  सजा  ही  लेंगे ..
खुद  को  चिरागों  की  तरह  जला  ही  लेंगे ..




तुमसे  बिछड़  के  कभी  खुस  रह  नहीं  सकते ..
पर  दुनिया  की  खातिर  हम  मुस्कुरा  लेंगे ..

आज  फिर  अँधेरा  हो  गया , तुम  मिल  न  सकी ..
उम्मीदों  से  दिल  को  आज  बहला  लेंगे ..

वादे  तोड़  तोड़  कर  मुस्कुराते  हो  तुम ..
देखना  एक  दिन  तुम  भी  पछता  ही  लेंगे ..

ये  लहू  तेरे  यादों  में  इतना  बहेगा  एक  दिन ..
फूल  हाथों  में  होंगे  और  आंसू  भी  निकलेंगे ..

मुद्दतों  कर  लिया  आपका  इंतज़ार  सनम ..
उम्र  कट  ही  गयी  अब  हम  न  मिलेंगे ..